कभी कभी
कभी कभी मेरे दिल मे ये खयाल आता है
के जिंदगी तेरे जुल्फो कि नर्म छाव ने गुजर न पाती
तो शाहदाब हो भी सकती थी
यह रंजो गम की शहायी जो दिल पे छायी है
तेरी नजर की शुआऒं मे खो भी सकती थी
मगर ये हो न सका......
मगर ये हो न सका और ये आलम है
के तू नही तेरा गम, तेरी जुस्तजू भी नही
गुजर रही है कुछ इस तरह जिंदगी जै
सेइसे किसिके सहारे की आरझू भी नही
न कोई राह, ना मंजील, ना रोशनी का सुराग
भटक रही है अंधेरों हे जिंदगी मेरी
इन हि अंधेरो मे रह जाउंगा कभी खो कर
मै जानता हू मेरी हम नफझ
मगर युंहि
कभी कभी मेरे दिल मे खयाल आता है.........
के जिंदगी तेरे जुल्फो कि नर्म छाव ने गुजर न पाती
तो शाहदाब हो भी सकती थी
यह रंजो गम की शहायी जो दिल पे छायी है
तेरी नजर की शुआऒं मे खो भी सकती थी
मगर ये हो न सका......
मगर ये हो न सका और ये आलम है
के तू नही तेरा गम, तेरी जुस्तजू भी नही
गुजर रही है कुछ इस तरह जिंदगी जै
सेइसे किसिके सहारे की आरझू भी नही
न कोई राह, ना मंजील, ना रोशनी का सुराग
भटक रही है अंधेरों हे जिंदगी मेरी
इन हि अंधेरो मे रह जाउंगा कभी खो कर
मै जानता हू मेरी हम नफझ
मगर युंहि
कभी कभी मेरे दिल मे खयाल आता है.........