निकिता
एक हसिन सा ख़याल हो तुम
मुलायम रेशम का रुमाल हो तुम
खुली आखॊ से देखा के खाब हो तुम
बाग ने खिला गुलाब हो तुम
बारिश कि पहलि फ़ुहार हो तुम
मेरे दिल मे बसा प्यार हो तुम
होटो पर बसि मासुम सि मुस्कान हो तुम
दुर जमिन को चुमता आसमान हो तुम
मेरे दिल से उठती कविता हो तुम
निर्मल जल कि सरिता हो तुम
सोच मे पडा हु कौन हो तुम
मेरी प्यारी निकिता हो तुम
मुलायम रेशम का रुमाल हो तुम
खुली आखॊ से देखा के खाब हो तुम
बाग ने खिला गुलाब हो तुम
बारिश कि पहलि फ़ुहार हो तुम
मेरे दिल मे बसा प्यार हो तुम
होटो पर बसि मासुम सि मुस्कान हो तुम
दुर जमिन को चुमता आसमान हो तुम
मेरे दिल से उठती कविता हो तुम
निर्मल जल कि सरिता हो तुम
सोच मे पडा हु कौन हो तुम
मेरी प्यारी निकिता हो तुम
3 Comments:
Ek kalpana(?) ko tumne bahut hi acche se shabd mein utara hai!
Ya phir, koi hai nazar mein ;)
hahaha
too good nikky!
abe is blog mian marathi kam aur hindi jyada dikh rahi hai mereko :D
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