निशा
सुबह कि पहली किरन से ही होता है
मुझॆ निशा का इंतजार
अपनी बाहों मे समेटे मुझे
देती है नींद का उपहार
क्या कशीष है तुम्हरी आगोश मै
जो जगाए यह प्यारा अहसास
क्यों उड जाती है मेरी नींद
जो ना होति हो तुम आसपास
बस तेरे एक आहट से हि
आखों पे नशा सा छा जाता है
झुकने लगती है पलके और
दिल अंगडाइया गाता है
तेरे पहलू मे आकर
दुनिया को भुल जाता हु मै
देख तेरी नशीली आखे
सपनो मे खो जाता हु मै
रात के कुछ आखरि पलों मे
सताए तुम से जुदाइ का गम
मांगु मै हर पल यही दुआ
क्यों ना जाए वक्त यही थम
दिन का आने वाला हर पल
तुम्हारी याद मे कटता है
इस दुनीया से हो बेखबर
बस तुम्हारा इंतजार रहता है
मुझॆ निशा का इंतजार
अपनी बाहों मे समेटे मुझे
देती है नींद का उपहार
क्या कशीष है तुम्हरी आगोश मै
जो जगाए यह प्यारा अहसास
क्यों उड जाती है मेरी नींद
जो ना होति हो तुम आसपास
बस तेरे एक आहट से हि
आखों पे नशा सा छा जाता है
झुकने लगती है पलके और
दिल अंगडाइया गाता है
तेरे पहलू मे आकर
दुनिया को भुल जाता हु मै
देख तेरी नशीली आखे
सपनो मे खो जाता हु मै
रात के कुछ आखरि पलों मे
सताए तुम से जुदाइ का गम
मांगु मै हर पल यही दुआ
क्यों ना जाए वक्त यही थम
दिन का आने वाला हर पल
तुम्हारी याद मे कटता है
इस दुनीया से हो बेखबर
बस तुम्हारा इंतजार रहता है
2 Comments:
tumhe neend itni pyari kyun hai par? nikita ko bhi hai kya?
हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है। बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है।
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