Wednesday, May 11, 2005

निकिता

एक हसिन सा ख़याल हो तुम
मुलायम रेशम का रुमाल हो तुम

खुली आखॊ से देखा के खाब हो तुम
बाग ने खिला गुलाब हो तुम

बारिश कि पहलि फ़ुहार हो तुम
मेरे दिल मे बसा प्यार हो तुम

होटो पर बसि मासुम सि मुस्कान हो तुम
दुर जमिन को चुमता आसमान हो तुम

मेरे दिल से उठती कविता हो तुम
निर्मल जल कि सरिता हो तुम

सोच मे पडा हु कौन हो तुम
मेरी प्यारी निकिता हो तुम