लगे रहो...
शहर की इस दौड मे दौड के करना क्या है,
गर यही जीना है दोस्तों तो मरना क्या है ।
पहली बारिश मे ट्रेन छुटने का डर है,
भुल गये भीगते हुए टहलना क्या है ।
सिरियल के सारे किरदारोंका हाल पता है,
पर मॉ का हाल पुछने कि फुरसत कहा है ।
अब रेत पर नंगे पाव चलते क्यो नही,
१०८ है चैनल पर दिल बहलते क्यो नही ।
इंटरनेट से दुनीया से तो टच मे है,
लेकिन पड़ोस मे कौन रहता जानते तक नही ।
मोबाइल लॅंड़लाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिगरी दोस्त तक पहुचे ऐसे तार कहा है ।
कब ड़ुबते हुए सुरज को देखा था याद है,
कब जाना था शाम का गुजरना क्या है ।
शहर की इस दौड मे दौड के करना क्या है,
गर यही जीना है दोस्तों तो मरना क्या है ।
गर यही जीना है दोस्तों तो मरना क्या है ।
पहली बारिश मे ट्रेन छुटने का डर है,
भुल गये भीगते हुए टहलना क्या है ।
सिरियल के सारे किरदारोंका हाल पता है,
पर मॉ का हाल पुछने कि फुरसत कहा है ।
अब रेत पर नंगे पाव चलते क्यो नही,
१०८ है चैनल पर दिल बहलते क्यो नही ।
इंटरनेट से दुनीया से तो टच मे है,
लेकिन पड़ोस मे कौन रहता जानते तक नही ।
मोबाइल लॅंड़लाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिगरी दोस्त तक पहुचे ऐसे तार कहा है ।
कब ड़ुबते हुए सुरज को देखा था याद है,
कब जाना था शाम का गुजरना क्या है ।
शहर की इस दौड मे दौड के करना क्या है,
गर यही जीना है दोस्तों तो मरना क्या है ।